
राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले की धरती ने कई वीर और जनसेवक जन्मे हैं, लेकिन उम्मेदा राम बेनीवाल की कहानी अलग ही प्रेरणा देती है। एक किसान परिवार में जन्मे उम्मेदा राम ने साधारण परिवेश में शिक्षा प्राप्त की और युवा अवस्था में देश की सेवा के लिए दिल्ली पुलिस में भर्ती हुए। उन्होंने लगभग दस वर्षों तक अनुशासित ढंग से अपनी सेवाएं दीं, लेकिन मन में कहीं न कहीं समाज के लिए और बड़ा काम करने की ललक थी। यही कारण रहा कि उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़कर व्यापार की दुनिया में कदम रखा, जहाँ उन्होंने हैंडीक्राफ्ट और निर्यात के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई। व्यापारिक सफलता के बाद उम्मेदा राम ने राजनीति को जनसेवा का माध्यम बनाया। वे पहले RLP से जुड़े, फिर 2024 में कांग्रेस पार्टी के टिकट पर बाड़मेर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की। उम्मेदा राम की यह यात्रा बताती है कि यदि इरादे नेक हों और उद्देश्य स्पष्ट हो, तो कोई भी व्यक्ति राजनीति में स्वच्छ छवि और सशक्त नेतृत्व का उदाहरण बन सकता है। आज वे न केवल अपने क्षेत्र की आवाज हैं, बल्कि एक ऐसे जनप्रतिनिधि हैं जिनकी पहचान ईमानदारी, मेहनत और जनता के प्रति प्रतिबद्धता से जुड़ी है।
प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
उम्मेदा राम बेनीवाल का जन्म 15 जुलाई 1977 को राजस्थान के सीमावर्ती बाड़मेर ज़िले के एक छोटे से गाँव — पूनियों का तला (बायतु) — में हुआ। उनका बचपन एक सामान्य किसान परिवार में सादगी और परिश्रम के बीच बीता। पिता स्वर्गीय मूला राम जी मेहनती किसान थे, जबकि माता श्रीमती मृगण देवी एक आदर्श घरेलू महिला हैं, जिन्होंने परिवार को सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों के साथ गढ़ा। गांव की पारंपरिक जीवनशैली और खेती-किसानी से जुड़े अनुभवों ने उम्मेदा राम के व्यक्तित्व को जमीन से जुड़ा और संवेदनशील बनाया। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से प्राप्त की, जहाँ सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने लगन से पढ़ाई की। आगे की शिक्षा के लिए उन्होंने अजमेर का रुख किया और महार्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय से स्नातक (B.A.) की डिग्री प्राप्त की। शिक्षा के दौरान भी वे अनुशासनप्रिय और सामाजिक गतिविधियों में रुचि रखने वाले छात्र के रूप में पहचाने गए। उनका यह मजबूत सामाजिक जुड़ाव और ग्रामीण जीवन का अनुभव आगे चलकर उनके सार्वजनिक जीवन की मजबूत नींव बना। उम्मेदा राम का शुरुआती जीवन इस बात का प्रमाण है कि कठिनाइयों में पला व्यक्ति भी बड़े लक्ष्य हासिल कर सकता है, बशर्ते उसमें इच्छाशक्ति हो।
दिल्ली पुलिस की नौकरी
साल 1995 में उम्मेदा राम बेनीवाल ने दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के पद पर कार्यभार संभाला। ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले उम्मेदा राम ने अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी के साथ लगभग 10 वर्षों तक राजधानी में पुलिस सेवा दी। इस दौरान उन्होंने न केवल कानून व्यवस्था में योगदान दिया, बल्कि आम जनता की समस्याओं को करीब से समझने का अनुभव भी अर्जित किया। 2005 में उन्होंने स्वेच्छा से पुलिस सेवा से इस्तीफा देकर अपने गृह ज़िले बाड़मेर लौटने का निर्णय लिया। यहां उन्होंने हैंडीक्राफ्ट और निर्यात व्यापार की शुरुआत की, जो धीरे-धीरे एक सफल उद्यम के रूप में स्थापित हुआ। व्यापारिक सफलता के साथ-साथ उनका ग्रामीण समुदाय से संपर्क और सामाजिक गतिविधियों में भागीदारी भी बढ़ती गई। यही वह दौर था, जब उम्मेदा राम का झुकाव जनसेवा की ओर और अधिक मजबूत हुआ, जिसने आगे चलकर उन्हें राजनीति की राह पर ले जाने की नींव रखी।
राजनीतिक यात्रा
RLP से शुरुआत
राजनीतिक क्षेत्र में उम्मेदा राम बेनीवाल की यात्रा की शुरुआत राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) से हुई, जो कि राजस्थान में जनआंदोलनों से जुड़ी एक मजबूत क्षेत्रीय पार्टी है। उम्मेदा राम ने 2018 और 2023 में बायतु विधानसभा क्षेत्र से RLP प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में कदम रखा। दोनों ही बार उनका मुकाबला कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री हरीश चौधरी से हुआ। हालांकि वे इन चुनावों में विजयी नहीं हो सके, लेकिन हर बार उनका जनाधार मजबूत होता गया। जनता के बीच उनकी साफ-सुथरी छवि, ग्रामीण मुद्दों पर बेबाकी से बोलने की शैली और संघर्षशील व्यक्तित्व ने उन्हें एक जननेता के रूप में स्थापित कर दिया। उन्होंने हार को कभी रुकावट नहीं बनने दिया, बल्कि हर बार पहले से अधिक ऊर्जा और आत्मविश्वास के साथ जनसेवा में जुटे रहे। यही जज़्बा उन्हें राजस्थान की राजनीति में एक पहचान दिलाता गया।
कांग्रेस में शामिल होना
मार्च 2024 में उम्मेदा राम बेनीवाल ने अपनी राजनीतिक यात्रा में एक बड़ा और निर्णायक मोड़ लिया। उन्होंने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) से संबंध समाप्त कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का दामन थाम लिया। यह फैसला केवल पार्टी परिवर्तन नहीं था, बल्कि एक नई दिशा में जनता के विश्वास और जनसेवा को और व्यापक रूप से आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता भी थी। कांग्रेस ने उम्मेदा राम को बाड़मेर लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया। उम्मेदा राम ने जबरदस्त जनसमर्थन के साथ चुनाव प्रचार किया, जिसमें गांव-गांव तक पहुंच कर उन्होंने आम लोगों की समस्याएं और उम्मीदें समझीं। परिणामस्वरूप, उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी को 1,18,179 वोटों से हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की। यह जीत सिर्फ आंकड़ों की नहीं थी, बल्कि एक ऐसे जननेता की स्वीकार्यता की थी जो ईमानदारी, संघर्ष और जनसेवा की भावना को लेकर आगे बढ़ा। इस जीत ने उन्हें बाड़मेर की आवाज़ को संसद में बुलंद करने का अवसर दिया।
संसद में भूमिका
सांसद के रूप में उम्मेदा राम बेनीवाल ने अपने कर्तव्यों को पूरी गंभीरता से निभाया है। संसद में उनकी उपस्थिति 100% रही है, जो उनकी प्रतिबद्धता और मेहनत को दर्शाता है। उन्होंने संसद के कई सत्रों में सक्रिय भागीदारी की, दर्जनों महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए और जनहित से जुड़े मुद्दों पर गंभीर चर्चा की। खासकर बाड़मेर और जैसलमेर के सीमावर्ती इलाकों के किसानों की समस्याएं, जल संकट और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी को उन्होंने बार-बार उच्च मंच पर उजागर किया। उनकी आवाज़ ने ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों की आवाज़ को संसद तक पहुँचाया। वे सिर्फ एक प्रतिनिधि नहीं, बल्कि जनता के हितों के सच्चे संरक्षक के रूप में उभरे हैं। उनका मानना है कि सांसद का काम केवल अपने क्षेत्र का विकास सुनिश्चित करना ही नहीं, बल्कि देश की समृद्धि और सामाजिक न्याय के लिए भी निरंतर संघर्ष करना है। उम्मेदा राम की यह सक्रिय भूमिका उनकी जनता के प्रति गहरे समर्पण और जवाबदेही का परिचायक है।
संपत्ति, पेशा और पारदर्शिता
उम्मेदा राम बेनीवाल की घोषित कुल संपत्ति 2024 के अनुसार लगभग ₹19.27 करोड़ है, जिसमें वे व्यक्तिगत और पारिवारिक संपत्तियों को शामिल करते हैं। इसके साथ ही, उनके ऊपर ₹6.62 करोड़ का ऋण या बकाया भी दर्ज है। उन्होंने अपने वित्तीय मामलों को पूरी पारदर्शिता के साथ जनता के सामने प्रस्तुत किया है, जिससे उनकी सादगी और ईमानदारी का पता चलता है। आपराधिक रिकॉर्ड से पूरी तरह मुक्त होने के कारण वे एक साफ-सुथरे और भरोसेमंद नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। पेशे के तौर पर उम्मेदा राम कंपनी निदेशक के साथ-साथ निर्यात व्यवसाय और कृषि से जुड़े हुए हैं। यह विविध पेशेवर अनुभव उन्हें न केवल आर्थिक दृष्टि से मजबूत बनाता है, बल्कि सामाजिक और ग्रामीण विकास की समझ भी प्रदान करता है। उनकी पारदर्शिता और साफ-सुथरी छवि ने जनता के दिलों में उनके प्रति विश्वास मजबूत किया है।
सामाजिक सरोकार और दृष्टिकोण
उम्मेदा राम बेनीवाल का मानना है कि जनता की सेवा सबसे बड़ा धर्म है। वे राजनीति को सत्ता के साधन नहीं, बल्कि जनसेवा का माध्यम समझते हैं। उनका राजनीति में आने का उद्देश्य सिर्फ सेवा करना है, न कि व्यक्तिगत लाभ लेना। उनकी कार्यशैली में सद्भावना, विनम्रता और सकारात्मक सोच की झलक मिलती है, जो विवादों से दूर रहती है। उम्मेदा राम अपने क्षेत्र के युवाओं को स्वरोजगार के अवसर देने, तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने और किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए जल प्रबंधन को खास महत्व देते हैं। उनका उद्देश्य विकास के साथ-साथ सामाजिक न्याय और स्थायी समाधान लाना है, जिससे जनता की जीवन गुणवत्ता बेहतर हो सके। वे हमेशा जनता के बीच रहकर उनके मुद्दों को समझने और हल करने का प्रयास करते हैं।
उम्मेदा राम बेनीवाल की जीवन यात्रा एक प्रेरणादायक कहानी है जो यह दर्शाती है कि साधारण परिवार और सीमित संसाधनों से निकलकर भी बड़े लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है। उन्होंने दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़कर अपने सपनों को पूरा करने के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित किया। उनके संघर्ष, ईमानदारी और जनता के प्रति समर्पण ने उन्हें राजनीतिक क्षेत्र में एक मजबूत पहचान दिलाई।
संसद की कुर्सी तक पहुंचने का उनका सफर सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि उन सभी लोगों के लिए उदाहरण है जो अपने कठिन हालात के बावजूद उम्मीद नहीं छोड़ते। उम्मेदा राम ने यह साबित किया कि अगर मन में सही भावना हो, तो सेवा और जनता के हित के लिए कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। उनकी कहानी यह भी बताती है कि राजनीति केवल सत्ता का माध्यम नहीं, बल्कि जनसेवा का मंच होना चाहिए।
उनका जीवन संदेश देता है कि मेहनत, ईमानदारी और समर्पण से ही व्यक्ति समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। उम्मेदा राम की यह प्रेरणा युवाओं और आम जनता के लिए एक मजबूत मिसाल है।