
श्री हेमाराम चौधरी का जन्म 18 जनवरी 1948 को राजस्थान के बाड़मेर जिले की बायतु तहसील के ग्राम बायतु भीमजी में हुआ। वे स्वर्गीय मूलाराम चौधरी धतरवाल के परिवार से संबंधित हैं। अपने जीवन की प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने अपने गाँव में प्राप्त की, जिसके बाद बालोतरा और जोधपुर में उच्च शिक्षा हासिल की। उन्होंने जोधपुर विश्वविद्यालय से बी.कॉम और एल.एल.बी की डिग्री पूरी की।
सन 1973 में बाड़मेर में उन्होंने वकालत शुरू की। कम ही समय में उन्होंने महत्वपूर्ण मुकदमों में किसानों और आम जनता के हितों के लिए काम करते हुए अपनी खास पहचान बनाई। उनका न्यायप्रिय दृष्टिकोण और किसानों के अधिकारों की मजबूत पैरवी उनके राजनीतिक जीवन की मजबूत नींव बनी।
राजनीति में उनका प्रवेश 1978 में पंचायत चुनाव के माध्यम से हुआ, जब वे वार्ड पंच चुने गए। इसके बाद उन्होंने पांच बार राजस्थान विधानसभा के लिए गुढामालानी क्षेत्र से सफलतापूर्वक चुनाव जीते। 1980, 1985, 1998, 2003 और 2008 में वे लगातार विधायक चुने गए। उन्होंने विभिन्न विधानसभा समितियों में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
श्री चौधरी 2002 से 2003 तक परिवार कल्याण एवं कृषि राज्य मंत्री रहे और बाद में 2008 में राजस्थान सरकार में राजस्व, उपनिवेशन एवं सैनिक कल्याण विभाग के मंत्री बनाए गए। वे समाज सेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय हैं और खासतौर पर पिछड़े और दलित वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित रहे हैं। उनकी सहजता, सरलता और संवेदनशीलता उन्हें लोगों के बीच लोकप्रिय बनाती है।
व्यक्तिगत एवं पारिवारिक जीवन
श्री हेमाराम चौधरी का विवाह वर्ष 1971 में अभोणी सारण परिवार की श्रीमती भीखी चौधरी से हुआ। परिवार की जड़ों और परंपराओं को संजोते हुए, उन्होंने अपने जीवन साथी के साथ खुशहाल और समृद्ध परिवार की नींव रखी। उनके एक पुत्र और एक पुत्री हैं। पुत्र, वीरेन्द्र चौधरी, ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर बीकानेर इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफ़ेसर के रूप में कार्यभार संभाला है, जो परिवार की शिक्षा और सेवा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। परिवार की बेटी भी सामाजिक और पेशेवर क्षेत्रों में सक्रिय है।
श्री हेमाराम चौधरी का परिवार पारंपरिक मूल्यों और आधुनिक सोच का संगम है, जहां शिक्षा, सामाजिक सेवा और परिवार के प्रति सम्मान को प्राथमिकता दी जाती है। उनकी पत्नी भीखी देवी ने स्थानीय स्तर पर ग्राम पंचायत की सरपंच के रूप में तीन बार निर्विरोध सेवा दी, जो परिवार के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण को दर्शाता है। पूरा परिवार समाज और क्षेत्र के विकास के लिए मिलकर काम करता है।
वकालत करियर की शुरुआत
सन 1973 में श्री हेमाराम चौधरी ने बाड़मेर में वकालत का कार्य आरंभ किया। प्रारंभिक दिनों में ही उन्होंने अपनी प्रतिभा और मेहनत से कई महत्वपूर्ण मामलों में सफलता हासिल की। विशेष रूप से किसानों के अधिकारों की रक्षा में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा। जमीनी स्तर पर उन्होंने किसानों के हितों की मजबूती से पैरवी की और उनके न्याय की लड़ाई लड़ी। उनके प्रयासों से कई किसानों को कानूनी मदद मिली और वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हुए।
श्री चौधरी की न्यायप्रियता और समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता ने उन्हें क्षेत्र में एक सम्मानित वकील के रूप में स्थापित किया। उनकी कुशल वकालत ने न केवल उन्हें व्यक्तिगत सफलता दिलाई, बल्कि समाज में भी उनका नाम एक विश्वसनीय और समर्थ नेता के रूप में चमका।
हेमाराम चौधरी का राजनीतिक यात्रा
वर्ष 1978 में पंचायत चुनाव के दौरान वार्ड पंच के रूप में शुरू हुए उनके राजनीतिक सफर में उन्होंने लगातार अपने क्षेत्र गुढामालानी से पांच बार राजस्थान विधानसभा का चुनाव जीतकर अपनी मजबूत पकड़ बनाई। वे 1980 में सातवीं विधानसभा, 1985 में आठवीं विधानसभा, 1998 में 11वीं विधानसभा, 2003 में 12वीं विधानसभा और 2008 में 13वीं विधानसभा के सदस्य रहे।
विधानसभा में रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण समितियों में सक्रिय रूप से भाग लिया और विभिन्न सामाजिक व विकास संबंधी मुद्दों पर काम किया। उनके कुशल नेतृत्व और अनुभव को देखते हुए, उन्हें 2002 से 2003 तक परिवार कल्याण एवं कृषि राज्य मंत्री के रूप में भी जिम्मेदारी सौंपी गई। इस दौरान उन्होंने सामाजिक कल्याण और कृषि क्षेत्र में कई सुधार कार्यों को बढ़ावा दिया।
वर्ष 2007 में वे विधानसभा में विपक्ष के नेता बने, जहां उन्होंने राज्य सरकार की नीतियों की समीक्षा की और जनता के हितों की आवाज़ उठाई। दिसंबर 2008 में उन्हें राजस्थान सरकार में राजस्व, उपनिवेशन एवं सैनिक कल्याण विभाग का मंत्री बनाया गया, जहाँ उन्होंने इन महत्वपूर्ण विभागों के विकास एवं सुधार के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। उनके नेतृत्व में विभागों ने बेहतर प्रशासन और जनसहयोग की नई मिसालें कायम कीं। इस तरह श्री हेमाराम चौधरी ने राजनीति में अपनी स्थिर और प्रभावशाली भूमिका निभाई।
समाज सेवा और सामुदायिक योगदान
श्री हेमाराम चौधरी समाज के पिछड़े और दलित वर्गों के उत्थान के लिए पूरी तरह समर्पित रहे हैं। उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों की समस्याओं को समझते हुए उनके लिए कई सामाजिक आंदोलनों का नेतृत्व किया। खासकर अकाल पीड़ित किसानों की मदद के लिए उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई और उनके हकों की आवाज़ उठाई। इसके अलावा, शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर उन्होंने भूख हड़ताल तक की, जिसके परिणामस्वरूप कई युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त हुए।
वे कई सामाजिक और कल्याणकारी संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। श्री किसान छात्रावास और जाट चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में उनकी सेवाएँ उल्लेखनीय हैं। इनके माध्यम से उन्होंने शिक्षा और सामाजिक विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
श्री चौधरी के परिवार का भी समाजसेवा में विशेष योगदान रहा है। उनकी पत्नी भीखी देवी तीन बार बायतु भीमजी ग्राम पंचायत की निर्विरोध सरपंच रह चुकी हैं, जो उनके परिवार की जनता के प्रति समर्पण और सेवा भाव को दर्शाता है। पूरे परिवार ने मिलकर समाज के पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए निरंतर प्रयास किए हैं।
शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान
श्री हेमाराम चौधरी और उनके परिवार ने बाड़मेर जिले में शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने अपने पुत्र वीरेंद्र चौधरी की स्मृति में एक आधुनिक और सुव्यवस्थित छात्रावास, वीरेंद्र धाम, का निर्माण कराया। यह छात्रावास विशेष रूप से गरीब और प्रतिभाशाली बच्चों के लिए बनाया गया है, ताकि वे शिक्षा के माध्यम से अपने जीवन को सफल बना सकें।
वीरेंद्र धाम न केवल एक आवासीय सुविधा है, बल्कि यह बच्चों के समग्र विकास के लिए प्रेरणादायक उदाहरण भी है। इस छात्रावास के माध्यम से श्री चौधरी परिवार ने शिक्षा के महत्व को समझते हुए क्षेत्र के छात्रों को बेहतर अवसर प्रदान किए हैं। यह पहल बाड़मेर जिले में शिक्षा के स्तर को ऊंचा करने और विद्यार्थियों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है।
कैबिनेट मंत्री हेमाराम चौधरी के इकलौते बेटे वीरेंद्र चौधरी का वर्ष 2015 में आकस्मिक निधन हो गया था। बेटे की याद में कैबिनेट मंत्री हेमाराम चौधरी ने बाड़मेर शहर में स्थित बेशकीमती तीन बीघा जमीन गरीब जरूरतमंद और प्रतिभाशाली बच्चों के लिए दान कर दी। मंत्री हेमाराम चौधरी की बेटी एडवोकेट सुनीता चौधरी ने अपने भाई वीरेंद्र चौधरी की याद को चिरस्थायी बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर पांच मंजिला आधुनिक सुविधाओं युक्त वीरेंद्र धाम (छात्रावास) का निर्माण करवाया है।
सम्मान एवं प्रशंसा समारोह
पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बाड़मेर में आयोजित एक विशेष समारोह में वीरेंद्र धाम का भव्य उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने श्री हेमाराम चौधरी के पुत्र, वीरेंद्र चौधरी, की मूर्ति का अनावरण भी किया, जो उनके परिवार और समाज के लिए एक भावपूर्ण सम्मान था। यह कार्यक्रम राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया।
समारोह में कई गणमान्य व्यक्ति, राजनीतिक नेता और स्थानीय समाजसेवी मौजूद थे, जिन्होंने इस आयोजन की गरिमा बढ़ाई। इस आयोजन ने श्री हेमाराम चौधरी के परिवार के प्रति सम्मान और उनके सामाजिक कार्यों को भी उजागर किया। वीरेंद्र धाम जैसे परियोजनाओं के माध्यम से शिक्षा और समाज सेवा में उनके योगदान को मान्यता मिली। यह सम्मान समारोह उनकी सेवाओं और समर्पण को सराहने का एक महत्वपूर्ण अवसर था।
श्री हेमाराम चौधरी का जीवन संघर्ष, सेवा और नेतृत्व की प्रेरणा है। उन्होंने वकालत से लेकर राजनीति तक हर क्षेत्र में किसानों, पिछड़े वर्गों और आम जनता के हितों के लिए काम किया। उनकी संवेदनशीलता और न्यायप्रियता ने उन्हें समाज में एक सम्मानित नेता बनाया। राजनीतिक पदों पर रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुधार किए और शिक्षा के क्षेत्र में भी उनके और उनके परिवार के योगदान से बाड़मेर जिले के गरीब व प्रतिभाशाली बच्चों को बेहतर अवसर मिले। वीरेंद्र धाम छात्रावास जैसे प्रयास उनकी दूरदर्शिता का प्रमाण हैं। उनके परिवार ने भी समाज सेवा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जीवन सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत है जो समर्पण, सामाजिक उत्तरदायित्व और नेतृत्व की मिसाल पेश करता है।