भारतीय राजनीति में यदि किसी नेता का नाम रणनीति और संगठन चलाने की अद्भुत क्षमता के साथ लिया जाता है, तो उनमें सबसे ऊपर अमित शाह आते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे करीबी सहयोगियों में शामिल शाह ने भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। नीचे उनके जीवन, शिक्षा, राजनीतिक सफर, व्यक्तिगत विवरण और योगदान विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।
व्यक्तिगत जानकारी
विवरण | जानकारी |
पूरा नाम | अमित अनिलचंद्र शाह |
पिता का नाम | अनिलचंद्र शाह (व्यवसायी – पीवीसी पाइप) |
माता का नाम | किशोरीबेन शाह |
जन्म तिथि | 22 अक्टूबर 1964 |
जन्म स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र |
मूल निवास | मानसा, गुजरात |
आयु | 59 वर्ष (2023 के अनुसार) |
धर्म | हिंदू |
जाति | गुजराती वैश्य (बनिया) |
शिक्षा | बायोकैमिस्ट्री स्नातक, सीयू शाह साइंस कॉलेज, अहमदाबाद |
पत्नी का नाम | सोनल शाह (विवाह 1987) |
पुत्र | जय शाह (BCCI सचिव) |
पुत्री | नहीं है |
जिला/गाँव | मानसा, मेहसाणा, गुजरात |
पेशा | राजनीतिज्ञ, संगठनकर्ता |
ट्विटर | @AmitShah |
कुल संपत्ति | लगभग 40-45 करोड़ रुपये (घोषित) |
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ। उनके पिता अनिलचंद्र शाह पीवीसी पाइप का कारोबार करते थे और उनकी माँ किशोरीबेन गृहिणी थीं। हालांकि जन्म मुंबई में हुआ, लेकिन उनका पैतृक गाँव गुजरात के मेहसाणा जिले का मानसा है। शाह का बचपन और युवावस्था गुजरात की मिट्टी में पली-बढ़ी, जिसने उनके व्यक्तित्व और सोच को आकार दिया।
बचपन से ही वे तेज-तर्रार और मेहनती रहे। प्रारंभिक शिक्षा मानसा में हुई और आगे की पढ़ाई अहमदाबाद में। उन्होंने सीयू शाह साइंस कॉलेज से बायोकैमिस्ट्री में स्नातक किया। विज्ञान की पढ़ाई ने उन्हें विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण दिया, लेकिन उनका मन सामाजिक और राष्ट्रीय कार्यों की ओर अधिक आकर्षित रहा।
कॉलेज के दिनों में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संपर्क में आए। यहाँ से उनके जीवन का नया अध्याय शुरू हुआ। उन्होंने शाखाओं में भाग लिया, संगठन के अनुशासन और कार्यप्रणाली को आत्मसात किया। संघ की गतिविधियों से प्रभावित होकर उन्होंने स्वयं को सामाजिक कार्यों में झोंक दिया।
यही वह दौर था जब शाह ने राजनीति के प्रति गंभीर रूचि लेना शुरू किया। उनकी सोच स्पष्ट थी कि राजनीति केवल सत्ता प्राप्ति का माध्यम नहीं बल्कि समाज परिवर्तन का साधन होना चाहिए। RSS और ABVP के कार्यक्रमों ने उनमें नेतृत्व क्षमता और संगठन कौशल का विकास किया। यही गुण आगे चलकर उनकी सफलता की नींव बने।
राजनीतिक यात्रा की शुरुआत
कॉलेज में रहते हुए शाह का जुड़ाव अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से हुआ। ABVP ने उन्हें छात्र राजनीति में सक्रियता का मंच दिया। वे विभिन्न आंदोलनों और अभियानों में सक्रिय रहे। इसी दौरान उन्होंने कई वरिष्ठ नेताओं से संपर्क स्थापित किया।
1980 के दशक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) का विस्तार हो रहा था। शाह ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और स्थानीय स्तर पर संगठनात्मक कार्य संभालना शुरू किया। 1986 में औपचारिक रूप से पार्टी कार्यकर्ता के रूप में उनकी यात्रा शुरू हुई। धीरे-धीरे वे अहमदाबाद के भाजपा संगठन में पहचाने जाने लगे।
1991–92 का दौर उनके करियर का अहम मोड़ था। इस समय लालकृष्ण आडवाणी की “राम रथ यात्रा” और नरेंद्र मोदी की “एकता यात्रा” आयोजित हुई। शाह इन दोनों अभियानों में सक्रिय रूप से शामिल हुए। यहाँ से उनका राष्ट्रीय स्तर पर नाम सामने आया। इन यात्राओं ने न केवल भाजपा को व्यापक जनाधार दिया बल्कि शाह को भी संगठनात्मक राजनीति का अनुभव और आत्मविश्वास प्रदान किया।
युवा मोर्चा (BJYM) के माध्यम से शाह ने अपनी पकड़ मजबूत की। वे केवल संगठनकर्ता ही नहीं बल्कि रणनीतिकार के रूप में भी उभरे। कार्यकर्ताओं को जोड़ने, बूथ स्तर तक पार्टी पहुँचाने और स्थानीय मुद्दों को उठाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। यह उनकी राजनीति का प्रारंभिक दौर था जिसने उन्हें गुजरात की राजनीति में बड़ा चेहरा बनने की ओर अग्रसर किया।
गुजरात राजनीति में उदय
1995 में अमित शाह पहली बार गुजरात विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने। यह उनकी सक्रिय राजनीति की असली शुरुआत थी। उनकी मेहनत और संगठनात्मक क्षमता ने उन्हें तेजी से आगे बढ़ाया।
2000 में वे अहमदाबाद जिला को-ऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन बने। उस समय बैंक भारी घाटे में था, लेकिन शाह ने प्रबंधन सुधारकर उसे लाभदायक संस्था बना दिया। यह उनकी प्रशासनिक क्षमता और आर्थिक समझ का प्रमाण था।
2002 से 2010 तक वे गुजरात सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों के प्रभारी रहे। इनमें गृह, कानून-न्याय, परिवहन और उत्पाद शुल्क जैसे विभाग शामिल थे। इन पदों पर रहते हुए उन्होंने कानून व्यवस्था को मजबूत किया, परिवहन व्यवस्था सुधारी और प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाया।
इस दौर में उनकी छवि नरेंद्र मोदी के सबसे करीबी और भरोसेमंद सहयोगी के रूप में बनी। गुजरात की राजनीति में उनकी पकड़ इतनी मजबूत हो गई कि वे चुनाव जीतने और पार्टी की स्थिति सुदृढ़ करने के लिए अहम माने जाने लगे। वे बूथ स्तर तक संगठन खड़ा करने और हर क्षेत्र में भाजपा की पैठ बढ़ाने में सफल रहे।
गुजरात के इस सफर ने शाह को राष्ट्रीय राजनीति के लिए तैयार कर दिया। उनकी पहचान अब केवल राज्य के नेता की नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर उभरते हुए रणनीतिकार की थी।
राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका
2014 के आम चुनाव से पहले भाजपा ने अमित शाह को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया। उस समय यह राज्य भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण माना जाता था। शाह ने जमीनी स्तर पर काम किया, जातीय समीकरणों को समझा और कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर तक सक्रिय किया। उनकी रणनीति का परिणाम यह हुआ कि भाजपा ने 80 में से 73 सीटें जीत लीं।
इस ऐतिहासिक जीत ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का सबसे प्रभावशाली रणनीतिकार बना दिया। 2014 में उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने हर राज्य में अपना विस्तार किया और कई राज्यों में सरकार बनाई। संगठन को मज़बूत करना, कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखना और हर चुनाव को युद्ध की तरह लड़ना उनकी खासियत रही।
2019 में लोकसभा चुनाव में भाजपा को और भी बड़ी जीत मिली। इसके बाद शाह नरेंद्र मोदी सरकार में गृहमंत्री नियुक्त हुए। गृहमंत्री के रूप में उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने और CAA जैसे ऐतिहासिक फैसले लिए। 2021 में उन्हें सहकारिता मंत्री का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया।
राष्ट्रीय राजनीति में अमित शाह का योगदान केवल चुनावी जीत तक सीमित नहीं है। उन्होंने पार्टी संगठन को दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी रणनीति और कार्यशैली ने भाजपा को अभूतपूर्व ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
गृहमंत्री के रूप में प्रमुख फैसले
अनुच्छेद 370 का निरसन (2019) – जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाकर उसे पूर्ण रूप से भारत का अभिन्न अंग बनाया गया। यह कदम ऐतिहासिक माना जाता है। इससे वहाँ निवेश और विकास की नई संभावनाएँ खुलीं।
कश्मीर नीति – आतंकवाद पर सख्त कार्रवाई, सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाना और निवेश योजनाओं को बढ़ावा देना इस नीति के प्रमुख पहलू रहे।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) – पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता का मार्ग दिया गया। यह कानून मानवाधिकार और शरणार्थी संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम था।
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) – अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए प्रस्तावित योजना। इसका उद्देश्य देश की सुरक्षा और जनसांख्यिकीय संतुलन को बनाए रखना था।
आंतरिक सुरक्षा – नक्सलवाद और आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाए गए। तकनीक, आधुनिक हथियार और बेहतर समन्वय से सुरक्षा बलों को मज़बूत किया गया।
व्यक्तिगत जीवन और रुचियाँ
अमित शाह का व्यक्तिगत जीवन सरल और पारिवारिक मूल्यों से जुड़ा हुआ है। उन्होंने 1987 में सोनल शाह से विवाह किया। दंपत्ति का एक पुत्र है – जय शाह, जो वर्तमान में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के सचिव हैं।
अमित शाह को क्रिकेट का गहरा शौक है। वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन से भी जुड़े रहे हैं। खेलों के अलावा उन्हें इतिहास पढ़ने और साहित्य का अध्ययन करने में भी गहरी रुचि है। उनकी रुचियाँ बताती हैं कि वे केवल राजनीति तक सीमित नहीं बल्कि सांस्कृतिक और बौद्धिक विषयों में भी सक्रिय रहते हैं।
वे सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं और धार्मिक गतिविधियों में भी रुचि रखते हैं। परिवार के साथ समय बिताना उन्हें प्रिय है। निजी जीवन में वे सादगी पसंद हैं और अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं।
विवाद
- सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस (2010): इस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 2014 में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया।
- स्नूपगेट विवाद (2013): एक महिला की जासूसी के आरोप लगे, हालांकि महिला ने स्वयं इन आरोपों का खंडन किया।
उपाधियाँ और छवि
अमित शाह को भारतीय राजनीति का “चाणक्य” कहा जाता है। उनकी संगठनात्मक क्षमता, रणनीति बनाने की योग्यता और हर चुनाव को जीतने का संकल्प उन्हें बाकी नेताओं से अलग करता है। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी भारतीय राजनीति की सबसे प्रभावशाली जोड़ी मानी जाती है।
पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच वे एक प्रेरणा हैं। शाह का मानना है कि राजनीति केवल सत्ता के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए है। यही सोच उन्हें जनता और कार्यकर्ताओं से जोड़ती है। उनकी छवि एक कड़े लेकिन निर्णायक नेता की है, जो अपने लक्ष्यों को पाने के लिए किसी भी हद तक प्रयासरत रहते हैं।
अमित शाह का जीवन संघर्ष, रणनीति और संगठन का उदाहरण है। उन्होंने भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर मज़बूत किया और भारत की राजनीति में निर्णायक बदलाव लाए। गृहमंत्री के रूप में उनके फैसले देश की सुरक्षा और विकास की दिशा तय कर रहे हैं। वे भारतीय राजनीति के उन नेताओं में से हैं जिनकी दृष्टि दूरगामी है और जिनके प्रभाव को आने वाले दशकों तक महसूस किया जाएगा।