राजस्थान की राजनीति में मदेरणा परिवार दशकों से कांग्रेस का अहम हिस्सा रहा है। इस परिवार की तीसरी पीढ़ी की प्रतिनिधि हैं दिव्या मदेरणा, जो कांग्रेस की युवा और प्रभावशाली नेत्री मानी जाती हैं। वह जोधपुर जिले की ओसियां विधानसभा सीट से विधायक रह चुकी हैं। दिव्या का जन्म एक राजनीतिक परिवार में हुआ, जहाँ उनके दादा परसराम मदेरणा और पिता महिपाल मदेरणा दोनों ही कांग्रेस के बड़े चेहरे रहे। राजनीति में कदम रखने के बाद दिव्या ने अपनी सादगी और साफ-सुथरी छवि से अलग पहचान बनाई। वह युवाओं से जुड़ाव और सोशल मीडिया पर सक्रियता के लिए जानी जाती हैं। 2010 में जिला परिषद चुनाव जीतकर उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया और 2018 में पहली बार ओसियां से विधायक बनीं। हालांकि 2023 विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और भाजपा उम्मीदवार ने उन्हें 2807 वोटों से पराजित कर दिया।
दिव्या मदेरणा का परिचय
जानकारी | विवरण |
नाम | दिव्या मदेरणा |
उम्र | 40 वर्ष (2025 तक) |
जन्म तिथि | 25 अक्टूबर 1984 |
जन्म स्थान | जोधपुर, राजस्थान |
शिक्षा | बीए (अर्थशास्त्र) |
कॉलेज | पुणे विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र |
वर्तमान पद | ओसिया विधानसभा सीट से विधायक |
राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
व्यवसाय | राजनीति |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
दादा का नाम | परसराम मदेरणा |
पिता का नाम | महिपाल मदेरणा |
माता का नाम | लीला मदेरणा |
बहन का नाम | रूबल मदेरणा |
स्थाई पता | सी-1-51, रेजीडेंसी रोड, जोधपुर |
वर्तमान पता | गुरु जंभेश्वर नगर, गांधी पथ, जयपुर |
जन्म और परिवार
दिव्या मदेरणा का जन्म 25 अक्टूबर 1984 को जोधपुर जिले में हुआ। उनका परिवार राजस्थान की राजनीति का एक जाना-पहचाना नाम है।
- पिता – महिपाल मदेरणा: राजस्थान सरकार में मंत्री रहे, लेकिन 2013 में भंवरी देवी हत्याकांड में नाम आने के बाद राजनीतिक विवादों में फंसे। 2021 में उनका निधन हो गया।
- माता – लीला मदेरणा: सक्रिय राजनीति में हैं और वर्तमान में जोधपुर जिला प्रमुख हैं।
- दादा – परसराम मदेरणा: कांग्रेस के दिग्गज नेता, जो राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष और मंत्री भी रहे।
- बहन – रूबल मदेरणा: निजी जीवन में सक्रिय हैं।
मदेरणा परिवार को जाट समाज का बड़ा नेता माना जाता रहा है।
दिव्या मदेरणा की प्रारंभिक शिक्षा जोधपुर में हुई। उन्होंने बचपन से ही पढ़ाई में रुचि दिखाई और आगे की पढ़ाई के लिए पुणे विश्वविद्यालय, महाराष्ट्र का रुख किया। यहाँ से उन्होंने अर्थशास्त्र में स्नातक (B.A. in Economics) की डिग्री प्राप्त की। शिक्षा के दौरान भी उनकी सोच और दृष्टिकोण राजनीति एवं समाजसेवा से प्रभावित रहे। डिग्री पूरी करने के बाद उन्होंने राजनीति में सक्रिय भागीदारी शुरू कर दी। परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि और खुद की मेहनत ने उन्हें राजनीति में पहचान दिलाने में मदद की। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद उनका फोकस सीधे जनता की समस्याओं और उनके समाधान पर रहा, जो उनकी राजनीतिक यात्रा का आधार बना।
राजनीतिक करियर
दिव्या मदेरणा का राजनीतिक करियर परिवार की विरासत से गहराई से जुड़ा है। उनके दादा परसराम मदेरणा और पिता महिपाल मदेरणा कांग्रेस पार्टी के बड़े चेहरे रहे हैं। राजनीति दिव्या के लिए नया क्षेत्र नहीं था, बल्कि उनके लिए यह एक जिम्मेदारी और परंपरा को आगे बढ़ाने का अवसर था।
1. 2010 – पहला चुनाव
दिव्या ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत जोधपुर जिला परिषद चुनाव से की। यहाँ उन्होंने जीत हासिल की और पहली सफलता पाई।
2. 2018 – विधानसभा चुनाव
कांग्रेस ने उन्हें जोधपुर जिले की ओसियां विधानसभा सीट से टिकट दिया। पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ते हुए उन्होंने शानदार जीत दर्ज की और विधायक बनीं।
3. युवा नेता के रूप में पहचान
दिव्या ने राजनीति में गंभीर और सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई। उनकी साफ-सुथरी छवि और मजबूत भाषण शैली ने उन्हें पहचान दिलाई। 2021 में उन्हें आदर्श युवा विधायक का सम्मान भी मिला।
4. कांग्रेस में सक्रिय भूमिका
वह कांग्रेस के संगठनात्मक कार्यों में सक्रिय रहीं और राहुल गांधी समेत शीर्ष नेताओं से लगातार संपर्क में रहकर पार्टी को मजबूत बनाने का प्रयास करती रहीं।
हालांकि, 2023 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस प्रत्याशी दिव्या मदेरणा को 2807 वोटों से हराकर ओसियां सीट पर कब्जा कर लिया। यह उनके राजनीतिक करियर की एक बड़ी चुनौती रही।
मदेरणा परिवार राजस्थान कांग्रेस में बेहद प्रभावशाली माना जाता रहा है। इस परिवार की शुरुआत परसराम मदेरणा से हुई, जो 1980 में विधायक और मंत्री बने। इसके बाद 1982 में उनके बेटे महिपाल मदेरणा जिला प्रमुख बने और 2003 तक इस पद पर डटे रहे। 2003 के बाद परसराम मदेरणा ने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली और बेटे महिपाल को आगे बढ़ाया। हालांकि 2013 में भंवरी देवी हत्याकांड में महिपाल मदेरणा की गिरफ्तारी के बाद परिवार की साख को गहरी चोट पहुंची। इसके बावजूद परिवार ने हार नहीं मानी। 2018 में तीसरी पीढ़ी की प्रतिनिधि दिव्या मदेरणा राजनीति में आईं और ओसियां विधानसभा सीट से विधायक बनीं। उनकी सफलता ने यह साबित किया कि मदेरणा परिवार अभी भी राजनीति में प्रासंगिक है। 2023 में हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा, फिर भी उनका राजनीतिक सफर जारी है।
दिव्या मदेरणा और युवाओं से जुड़ाव
दिव्या मदेरणा युवाओं में लोकप्रिय चेहरा हैं। उनकी साफ-सुथरी छवि और ईमानदारी उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है। वह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काफी सक्रिय रहती हैं और यहां अपने विचार, कार्यक्रम और जनता से जुड़ी गतिविधियों को साझा करती रहती हैं। यही वजह है कि युवा वर्ग उनसे आसानी से जुड़ाव महसूस करता है।
दिव्या युवाओं को राजनीति और समाजसेवा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। वह हमेशा कहती हैं कि राजनीति सेवा का माध्यम है, न कि सिर्फ सत्ता प्राप्त करने का जरिया। उनके भाषण और संवाद शैली में सादगी के साथ गहराई भी नजर आती है। यही कारण है कि वह अपने क्षेत्र में युवाओं और महिलाओं के बीच मजबूत पहचान बना पाई हैं।
विवाद और चुनौतियां
दिव्या मदेरणा व्यक्तिगत रूप से किसी बड़े विवाद में नहीं रहीं, लेकिन उनके परिवार की छवि को 2013 में तब झटका लगा, जब उनके पिता महिपाल मदेरणा का नाम भंवरी देवी हत्याकांड में सामने आया और उन्हें गिरफ्तार किया गया। इस घटना से मदेरणा परिवार की राजनीतिक साख प्रभावित हुई।
इसके बावजूद दिव्या ने राजनीति में अपनी मेहनत और ईमानदार छवि से लोगों का विश्वास जीता। उन्होंने कभी भी पारिवारिक विवादों को अपनी कार्यशैली पर हावी नहीं होने दिया। राजनीति में अपने बलबूते अलग पहचान बनाने में वह सफल रहीं।
हालांकि, 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा और भाजपा ने ओसियां सीट पर जीत दर्ज की। 2807 वोटों से मिली यह हार उनके लिए चुनौती जरूर है, लेकिन दिव्या की लोकप्रियता और साफ छवि अब भी उन्हें भविष्य की राजनीति में मजबूत संभावनाओं वाला नेता बनाती है।
दिव्या मदेरणा राजस्थान कांग्रेस की एक उभरती हुई नेता हैं। राजनीतिक परिवार से होने के बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत से अपनी अलग पहचान बनाई है। उनकी सक्रियता, जुझारूपन और युवाओं से जुड़ाव उन्हें राजस्थान की राजनीति में एक सशक्त स्त्री नेतृत्व के रूप में स्थापित करता है। आने वाले समय में वह न सिर्फ ओसिया बल्कि पूरे राजस्थान की राजनीति में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं।