राजस्थान की राजनीति में किसानों और ग्रामीण इलाकों की आवाज़ को बुलंद करने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता रामेश्वर लाल डूडी का नाम हमेशा याद किया जाएगा। वे केवल एक राजनेता ही नहीं बल्कि किसान नेता, जनसेवक और जमीनी स्तर पर जुड़े हुए कार्यकर्ता थे। 1990 के दशक में राजनीति की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए उन्होंने ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा तक का सफर तय किया और राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता जैसे बड़े पद पर कार्य किया।
62 वर्ष की उम्र में 4 अक्टूबर 2025 को उनका निधन हो गया। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। अगस्त 2023 में ब्रेन हैमरेज होने के बाद वे कोमा में चले गए थे और लगभग दो साल तक लगातार बीमार रहे। उनके निधन से राजस्थान की राजनीति और किसान आंदोलन दोनों को बड़ी क्षति पहुँची है।
प्रारंभिक जीवन और परिवार
रामेश्वर लाल डूडी का जन्म 1 जुलाई 1963 को राजस्थान के बीकानेर जिले की नोखा तहसील के गाँव बिरमसर में हुआ था। उनका परिवार खेती-किसानी से जुड़ा हुआ था। उनके पिता का नाम जेठा राम डूडीऔर माता का नामआशा देवी था।
1983 में उन्होंने विवाह किया और उनकी पत्नी का नाम सुशीला देवी है। दंपति के तीन संतानें हैं – एक बेटा और दो बेटियाँ। पारिवारिक रूप से डूडी हमेशा एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़े रहे और यही वजह रही कि वे किसानों और ग्रामीणों की समस्याओं को गहराई से समझते थे।
शिक्षा
शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने मेहनत और लगन दिखाई। उन्होंने बीजेएस रामपुरिया कॉलेज, बीकानेर से वाणिज्य में स्नातक (B.Com.) की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के दौरान ही उनमें समाज सेवा और राजनीति के प्रति रुचि विकसित हो गई थी।
राजनीति में प्रवेश
राजनीति की शुरुआत उन्होंने स्थानीय स्तर से की। 1995 में वे पहली बार नौखा पंचायत समिति के प्रधान चुने गए। यहीं से उनकी राजनीतिक यात्रा की नींव पड़ी। पंचायत समिति के प्रधान के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने ग्रामीण विकास और किसानों की समस्याओं के समाधान पर विशेष ध्यान दिया।
लोकसभा चुनाव और बड़ी जीत
1999 का साल उनके राजनीतिक करियर का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिया। उस चुनाव में उन्होंने शानदार जीत हासिल की और सीधे भारत की संसद (लोकसभा) तक पहुँच गए।
1999 से 2004 तक वे बीकानेर के सांसद रहे। इस दौरान वे खाद्य, नागरिक आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण समिति के सदस्य भी रहे। उस समय केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी।
धर्मेंद्र के खिलाफ चुनाव
2004 का लोकसभा चुनाव उनके जीवन का सबसे चर्चित चुनाव साबित हुआ। इस बार उनके सामने बॉलीवुड अभिनेता धर्मेंद्र देओल भाजपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे। चुनावी मुकाबला बेहद रोचक रहा। अंततः धर्मेंद्र ने जीत दर्ज की, लेकिन इस चुनाव ने डूडी को पूरे देश में सुर्खियों में ला दिया। लोग उन्हें “धर्मेंद्र से टक्कर लेने वाले किसान नेता” के नाम से जानने लगे।
विधानसभा चुनाव और विपक्ष के नेता
2004 के बाद भी डूडी राजनीति में सक्रिय रहे। 2013 में उन्होंने नोखा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद वे राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता बने।
विपक्ष के नेता के तौर पर उन्होंने वसुंधरा राजे सरकार की नीतियों का पुरजोर विरोध किया और किसानों, युवाओं व गरीबों की आवाज़ को उठाया। उनका यह कार्यकाल पाँच साल का रहा और उन्हें पूरे राज्य में किसान नेता के रूप में नई पहचान मिली।
हालाँकि 2018 में वे नोखा विधानसभा सीट से चुनाव हार गए।
राजस्थान कृषि उद्योग विकास बोर्ड के अध्यक्ष
साल 2022 में उन्हें राजस्थान राज्य कृषि उद्योग विकास बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। यह पद कैबिनेट मंत्री के समकक्ष माना जाता है। डूडी को इस पद पर देखते हुए किसानों को उनसे कई उम्मीदें थीं, लेकिन दुर्भाग्यवश 2023 में उनकी तबीयत बिगड़ गई और वे सक्रिय राजनीति से दूर हो गए।
किसानों के नेता
रामेश्वर लाल डूडी का नाम किसान राजनीति से हमेशा जुड़ा रहा। उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक करियर में किसानों की समस्याओं, सिंचाई, फसल समर्थन मूल्य और ग्रामीण विकास के मुद्दों को उठाया। वे गांवों में समय बिताने और लोगों की परेशानियों को सुनने के लिए हमेशा तैयार रहते थे। यही वजह थी कि उन्हें किसान आंदोलन का एक मजबूत चेहरा माना जाता था।
व्यक्तिगत जीवन
साधारण जीवन जीने वाले रामेश्वर लाल डूडी हमेशा जमीन से जुड़े रहे। उनका स्थायी पता बीकानेर जिले के जैसलमेर रोड पर स्थित जैता राम डूडी पेट्रोल पंप बताया जाता है। अपने गाँव बिरमसर से उनका गहरा लगाव था।
निधन
अगस्त 2023 में अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ। डॉक्टरों की टीम ने भरसक प्रयास किया लेकिन वे कोमा में चले गए। लगभग दो साल तक बीमार रहने के बाद 4 अक्टूबर 2025 को 62 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली।
उनका निधन न केवल उनके परिवार और समर्थकों के लिए बल्कि पूरे राजस्थान की राजनीति और किसान समाज के लिए बड़ी क्षति है।
रामेश्वर लाल डूडी का राजनीतिक योगदान
- 1995-1999 – नौखा पंचायत समिति के प्रधान।
- 1999-2004 – बीकानेर से लोकसभा सांसद।
- 2000 – खाद्य, नागरिक आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण समिति के सदस्य।
- 2004 – धर्मेंद्र के खिलाफ बीकानेर से लोकसभा चुनाव लड़ा।
- 2013-2018 – नोखा से विधायक और राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता।
- 2022 – राजस्थान कृषि उद्योग विकास बोर्ड के अध्यक्ष।
विरासत
रामेश्वर लाल डूडी की पहचान एक ईमानदार, जुझारू और किसानों के हक़ के लिए आवाज़ उठाने वाले नेता के रूप में रहेगी। उन्होंने हमेशा जनता की समस्याओं को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया।
राजस्थान की राजनीति में वे उस पीढ़ी के नेता थे जिन्होंने साधारण किसान परिवार से उठकर राष्ट्रीय राजनीति तक पहुँचने का सफर तय किया। रामेश्वर लाल डूडी का जीवन संघर्ष, मेहनत और जनता के प्रति समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने साबित किया कि राजनीति केवल सत्ता पाने का साधन नहीं बल्कि जनसेवा का मार्ग भी हो सकती है।
4 अक्टूबर 2025 को उनके निधन से राजनीति और समाज दोनों ने एक सच्चा जननायक खो दिया। लेकिन उनकी विचारधारा, संघर्ष और किसानों के लिए उठाई गई आवाज़ हमेशा लोगों को प्रेरित करती रहेगी।