बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्म है। 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पूरे राज्य में चुनावी हलचल तेज हो चुकी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, भाजपा, लोजपा, और प्रशांत किशोर की नई पार्टी जन सुराज अपने-अपने दावे पेश कर रहे हैं। सत्ता की कुर्सी पर फिर से कब्जा जमाने या नया चेहरा उभरने की उम्मीदों के बीच जनता मुद्दों का आकलन कर रही है। राज्य की 243 सीटों पर यह चुनाव न केवल राजनीतिक संतुलन तय करेगा बल्कि यह भी दर्शाएगा कि बिहार का आने वाला दशक किसके नेतृत्व में आगे बढ़ेगा। जनता के बीच बेरोजगारी, शिक्षा, विकास और स्थिर शासन को लेकर चर्चाएँ चरम पर हैं। राजनीतिक दल जनता से सीधे संवाद के लिए पूरे राज्य में प्रचार यात्राएँ निकाल रहे हैं।
चुनाव की तारीखें कब होगा मतदान और कब होगी गिनती
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने आधिकारिक घोषणा की है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 दो चरणों में होंगे।
चरण | मतदान तिथि | सीटों की संख्या | क्षेत्र |
पहला चरण | 6 नवम्बर 2025 | 121 सीटें | सीमांचल, मगध, कोसी क्षेत्र |
दूसरा चरण | 11 नवम्बर 2025 | 122 सीटें | तिरहुत, मिथिलांचल, शाहाबाद क्षेत्र |
मतगणना (Counting) | 14 नवम्बर 2025 | – | सभी जिलों में एक साथ |
22 नवम्बर 2025 को वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, इसलिए परिणामों के बाद नई सरकार का गठन किया जाएगा।
एनडीए (NDA) – भाजपा + जदयू + लोजपा (राम विलास) + हम
मुख्य चेहरे :
नीतीश कुमार (JDU) 8वीं बार मुख्यमंत्री बनने की कोशिश में हैं। सम्राट चौधरी (BJP) पिछड़े वर्गों के बीच पार्टी की पकड़ मजबूत करने की रणनीति पर हैं, जबकि चिराग पासवान (LJP-RV) युवा चेहरे के रूप में NDA की उम्मीद बने हैं।
स्थिति : सीट बंटवारे को लेकर बातचीत जारी है। बीजेपी और जेडीयू लगभग बराबर सीटों पर (100-105) चुनाव लड़ सकते हैं। लोजपा को 25-30 और हम पार्टी को 10-12 सीटें मिलने की संभावना है।
मजबूत क्षेत्र :
जेडीयू – नालंदा, मधुबनी, दरभंगा।
भाजपा – भागलपुर, बक्सर, औरंगाबाद।
लोजपा – जमुई, समस्तीपुर, खगड़िया।
NDA इस बार “विकास और स्थिरता” के मुद्दे पर चुनाव मैदान में है। नीतीश-भाजपा तालमेल जनता के बीच भरोसे का प्रतीक बताया जा रहा है, जबकि चिराग पासवान युवाओं में लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं।
महागठबंधन / INDIA ब्लॉक – राजद + कांग्रेस + वाम दल
मुख्य चेहरे : तेजस्वी यादव (RJD) सीएम पद के प्रमुख दावेदार हैं। अखिलेश सिंह (INC) कांग्रेस की रणनीति संभाल रहे हैं, जबकि दीपंकर भट्टाचार्य (CPI-ML) वामपंथी मतदाताओं को जोड़ने में सक्रिय हैं।
स्थिति : राजद लगभग 150 सीटों पर लड़ेगी, कांग्रेस को 50 और वामदलों को 40-45 सीटें मिलने की उम्मीद है।
मजबूत क्षेत्र : राजद – गोपालगंज, सिवान, सारण, वैशाली। कांग्रेस – सहरसा, दरभंगा। वामदल – आरा, भोजपुर, सीतामढ़ी।
चुनौती : सीट बंटवारे में असहमति और अंदरूनी मतभेद महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। नीतीश कुमार के पुराने साथियों की संभावित वापसी भी विपक्षी समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। महागठबंधन रोजगार, सामाजिक न्याय और युवाओं के मुद्दे पर जनता को लुभाने की कोशिश में है।
जन सुराज पार्टी – प्रशांत किशोर का नया प्रयोग
संस्थापक : प्रशांत किशोर (PK)
जन सुराज पार्टी ने घोषणा की है कि वह सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। पहले चरण में 40 उम्मीदवारों की सूची जारी हो चुकी है और प्रत्येक जिले में जन संवाद यात्रा आयोजित की जा रही है।
मुख्य मुद्दे : शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और शासन व्यवस्था में पारदर्शिता।
रणनीति : जातिगत समीकरणों से ऊपर उठकर नीति आधारित राजनीति का नारा – राजनीति नहीं, नीति चाहिए।
संभावित प्रभाव : यह दल युवाओं और बुद्धिजीवियों के बीच नई उम्मीद के रूप में देखा जा रहा है। जन सुराज का उदय पारंपरिक गठबंधनों के वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है, खासकर महागठबंधन के मतदाताओं में विभाजन की संभावना जताई जा रही है। प्रशांत किशोर जनता के बीच सीधा संवाद और स्थानीय नेतृत्व को प्राथमिकता देने की नीति पर आगे बढ़ रहे हैं।
कौन कहाँ मज़बूत दिख रहा है
क्षेत्र | प्रमुख दल / नेता | अनुमानित स्थिति |
पटना | BJP + JDU | NDA की बढ़त |
गया | RJD + वामदल | महागठबंधन का प्रभाव |
मुज़फ्फरपुर | JDU + LJP | कड़ा मुकाबला |
दरभंगा | BJP + जन सुराज | तीन-कोणीय संघर्ष |
भागलपुर | BJP | स्पष्ट बढ़त |
सिवान, गोपालगंज | RJD | पारंपरिक वोट बैंक कायम |
नालंदा | JDU | नीतीश का गढ़ |
पूर्णिया, कटिहार | जन सुराज / RJD | नई चुनौती |
मुख्य चुनावी मुद्दे
1. बेरोज़गारी और प्रवासन
बिहार के युवाओं के लिए रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है। सभी दल स्थानीय उद्योग और रोजगार नीति का वादा कर रहे हैं।
2. शिक्षा और स्वास्थ्य
शिक्षकों की कमी, सरकारी स्कूलों की स्थिति और अस्पतालों की अव्यवस्था विपक्ष के निशाने पर हैं।
3. महिलाओं की सुरक्षा और आरक्षण
50% आरक्षण और नारी शक्ति योजना को लेकर सरकार अपनी उपलब्धियां गिना रही है, जबकि विपक्ष इसे अपर्याप्त बता रहा है।
4. जातीय संतुलन
यादव, कुर्मी, दलित और महादलित वर्गों के वोट को साधने के लिए हर पार्टी जातीय समीकरण साध रही है।
5. जन सुराज का एजेंडा
राजनीति नहीं, नीति चाहिए नारा युवाओं को आकर्षित कर रहा है। प्रशांत किशोर शिक्षा, रोजगार और प्रशासनिक सुधार को मुख्य एजेंडा बना रहे हैं। इन मुद्दों पर चुनावी बहस गर्म है और जनता ठोस बदलाव की उम्मीद रखती है।
मतदाता सूची और विवाद
इस बार बिहार की मतदाता सूची में लगभग 3.66 लाख नाम हटाए जाने पर बड़ा विवाद खड़ा हुआ है। विपक्ष का आरोप है कि यह जानबूझकर किया गया मतदाता दमन है, जिससे विरोधी वोटर प्रभावित हों। चुनाव आयोग (EC) का कहना है कि यह केवल Special Intensive Revision (SIR) की प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसमें मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि सभी पात्र नागरिकों को नाम जोड़ने का मौका दिया गया था। बावजूद इसके, विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई है और पारदर्शिता की मांग की है। यह मुद्दा अब बिहार के चुनावी विमर्श का अहम हिस्सा बन चुका है और मतदाताओं के बीच चिंता का विषय बना हुआ है।
सोशल मीडिया और चुनावी माहौल
2025 का बिहार चुनाव डिजिटल युग का सबसे सक्रिय चुनाव माना जा रहा है। हर पार्टी सोशल मीडिया को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है।
- भाजपा का नारा अबकी बार, फिर NDA सरकार Facebook Instagram और YouTube पर ट्रेंड कर रहा है।
- राजद का युवा बिहार, तेजस्वी सरकार नारा युवाओं के बीच लोकप्रिय है।
- जन सुराज का बदलाव का बिहार अभियान Instagram पर तेजी से फैल रहा है।
पारंपरिक जनसभाओं के साथ-साथ वर्चुअल रैलियाँ और लाइव संवाद अब आम हो चुके हैं। सोशल मीडिया युद्ध ने चुनाव को पहले से कहीं अधिक प्रतिस्पर्धी और तेज़ बना दिया है।
बिहार की राजनीति फिर करवट ले रही है
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 सिर्फ सत्ता परिवर्तन की लड़ाई नहीं, बल्कि राजनीतिक सोच के बदलाव की भी परीक्षा है। इस बार मुकाबला त्रिकोणीय है – NDA, महागठबंधन, और जन सुराज के बीच। मतदाताओं के एजेंडा में अब जाति से ज्यादा विकास, शिक्षा और रोजगार की चर्चा है। 14 नवम्बर की मतगणना यह तय करेगी कि नीतीश कुमार इतिहास दोहराते हैं या तेजस्वी यादव नई शुरुआत करते हैं, या फिर प्रशांत किशोर अपनी नीति आधारित राजनीति से तीसरा विकल्प बनाते हैं। जनता इस बार स्थिरता और परिवर्तन के बीच चुनाव करेगी। बिहार 2025 का चुनाव केवल वोटों की गिनती नहीं, बल्कि विकास बनाम विश्वास, अनुभव बनाम युवा जोश, और नीति बनाम राजनीति की जंग है। यह तय करेगा कि बिहार किस दिशा में आगे बढ़ेगा – पुराने नेतृत्व के साथ या नए विचारों की राह पर। लोकतंत्र की असली परीक्षा यहीं से शुरू होती है।