
राजस्थान की राजनीति में 2023 का विधानसभा चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक रहा, खासकर बाड़मेर विधानसभा सीट के लिए। इस चुनाव में डॉ. प्रियंका चौधरी ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की और बाड़मेर की पहली महिला विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया। लेकिन यह सफर आसान नहीं था।
डॉ. प्रियंका चौधरी का राजनीतिक जीवन संघर्षों से भरा रहा है। उन्हें दो बार पार्टी से टिकट नहीं मिला, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और जनता के समर्थन से 2023 में एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस ब्लॉग में हम उनके जीवन, राजनीतिक संघर्ष, और बाड़मेर की जनता के अपार समर्थन पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
डॉ. प्रियंका चौधरी का जन्म 1973 में बाड़मेर, राजस्थान में हुआ। उनका बचपन एक शिक्षित और राजनीतिक परिवार में बीता, जहां उन्हें समाज सेवा और जनकल्याण के महत्व का एहसास हुआ। उनके दादा गंगाराम चौधरी, राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके थे, और उनके प्रभाव ने प्रियंका चौधरी को राजनीति की ओर आकर्षित किया।
शिक्षा के प्रति उनके झुकाव के कारण उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन (M.A.) में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने चिकित्सा क्षेत्र में कदम रखते हुए दंत चिकित्सा (B.D.S.) की पढ़ाई की और डॉक्टर बनीं।
राजनीतिक करियर और संघर्षों की कहानी
डॉ. प्रियंका चौधरी ने 2013 में पहली बार बाड़मेर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। यह उनके लिए एक बड़ा झटका था, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय राजनीति में बने रहने का फैसला किया और समाज सेवा में सक्रिय रहीं।
2018 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उनका टिकट काटकर सोनाराम चौधरी को उम्मीदवार बना दिया। यह फैसला उनके लिए बड़ा झटका था, क्योंकि उन्होंने वर्षों तक पार्टी के लिए मेहनत की थी।
इस फैसले से निराश होकर डॉ. प्रियंका चौधरी ने बाड़मेर शहरी सुधार न्यास (UIT) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, बाद में पार्टी ने उन्हें मनाया और दोबारा BJP में शामिल कर लिया।
2023 में फिर टिकट कटा, लेकिन जनता ने बनाया विधायक
जब 2023 का विधानसभा चुनाव आया, तो उम्मीद थी कि बीजेपी इस बार डॉ. प्रियंका चौधरी को टिकट देगी। लेकिन एक बार फिर पार्टी ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया और टिकट दीपक कड़वासरा को दे दिया।
इस बार बाड़मेर की जनता ने इस फैसले को स्वीकार नहीं किया। सर्व समाज ने मिलकर फैसला किया कि डॉ. प्रियंका चौधरी को निर्दलीय चुनाव लड़ना चाहिए। समाज के इस निर्णय का सम्मान करते हुए उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा।
ऐतिहासिक जीत और जनता का समर्थन
बाड़मेर की जनता ने इस चुनाव में केवल वोट ही नहीं डाले, बल्कि “मायरा” भरकर (राजस्थानी परंपरा जिसमें रिश्तेदार शादी में सहयोग करते हैं) अपने वोटों से उनका समर्थन किया।
इस समर्थन का नतीजा यह हुआ कि डॉ. प्रियंका चौधरी ने 1,05,420 वोट प्राप्त करके शानदार जीत दर्ज की और इतिहास रच दिया।
उनकी जीत ने कई महत्वपूर्ण संदेश दिए:
बाड़मेर से पहली महिला विधायक बनीं।
2. निर्दलीय उम्मीदवार होते हुए भी भारी मतों से चुनाव जीता।
3. जनता ने दिखाया कि सही उम्मीदवार के लिए वे किसी पार्टी का इंतजार नहीं करते।
4. उन्होंने अपने दादा गंगाराम चौधरी के 30 साल पुराने इतिहास को दोहराया।
डॉ. प्रियंका चौधरी की प्राथमिकताएँ और विजन
विधायक बनने के बाद से ही वे बाड़मेर के विकास कार्यों में सक्रिय हैं। उनके मुख्य एजेंडे में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
बाड़मेर एक सीमावर्ती क्षेत्र है, जहां अभी भी उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी बनी हुई है। डॉ. चौधरी का लक्ष्य सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और अस्पतालों में आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध कराना है।
महिलाओं के लिए रोजगार के नए अवसर
महिला सशक्तिकरण के लिए उन्होंने कई योजनाओं की शुरुआत की है, जिनमें स्वरोजगार योजना, कौशल विकास कार्यक्रम और महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने से संबंधित योजनाएँ शामिल हैं।
बुनियादी ढाँचे का विकास
सड़कों, जल आपूर्ति और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए उन्होंने कई प्रस्ताव तैयार किए हैं और सरकारी योजनाओं को लागू करने के प्रयास कर रही हैं।
किसानों और पशुपालकों के लिए नई योजनाएँ
राजस्थान के इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसान और पशुपालक रहते हैं। उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए वे नई कृषि योजनाओं को लागू कर रही हैं, जिससे किसानों को उनकी फसलों का सही दाम मिल सके।
चुनौतियाँ और भविष्य की योजनाएँ
राजनीति में आने के बाद डॉ. प्रियंका चौधरी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। निर्दलीय विधायक होने के कारण उनके सामने संसाधनों की कमी की समस्या थी। इसके बावजूद वे लगातार जनता के मुद्दों पर काम कर रही हैं।
भविष्य में वे बाड़मेर को एक विकसित और आधुनिक क्षेत्र बनाने की दिशा में काम करना चाहती हैं। उनकी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि हर नागरिक को बुनियादी सुविधाएँ आसानी से मिल सकें।
डॉ. प्रियंका चौधरी का प्रेरणादायक नेतृत्व
डॉ. प्रियंका चौधरी न केवल एक सफल राजनेता हैं, बल्कि एक प्रेरणादायक महिला नेता भी हैं, जिन्होंने अपने संघर्ष और मेहनत से राजनीति में एक अलग पहचान बनाई।
उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर कोई व्यक्ति जनता की भलाई के लिए काम करने का संकल्प ले, तो वह बिना किसी बड़े राजनीतिक दल के समर्थन के भी चुनाव जीत सकता है। उनका यह सफर हर उस युवा और महिला के लिए प्रेरणा है, जो राजनीति में आकर समाज सेवा करना चाहते हैं।
डॉ. प्रियंका चौधरी की सफलता यह साबित करती है कि सच्चे नेतृत्व की कोई पार्टी नहीं होती, बल्कि जनता का विश्वास ही सबसे बड़ी ताकत होती है। उनके इस सफर को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि बाड़मेर की राजनीति में अब एक नया और सशक्त नेतृत्व उभर चुका है, जो आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।