
तुलछाराम भनगावा राजस्थान के प्रसिद्ध भजन गायक हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और भक्ति से भजन संगीत में एक अलग पहचान बनाई है। उनका जन्म जोधपुर जिले की भोपालगढ़ तहसील के गाँव आसोप में हुआ। बचपन से ही भजन गायकी में रुचि रखने वाले तुलछाराम जी ने न केवल भजन गायकी को अपनाया, बल्कि अपने अनोखे अंदाज और आध्यात्मिक संदेशों के माध्यम से समाज में नई चेतना भी जगाई।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
तुलछाराम भनगावा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय विद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने बीए, एमए और बीएड की पढ़ाई पूरी की। साथ ही, वे शिक्षक बनने की तैयारी भी कर रहे हैं और समय मिलने पर अपनी पढ़ाई जारी रखते हैं।उनका बचपन बहुत ही साधारण परिस्थितियों में बीता, लेकिन भजन संगीत के प्रति उनकी रुचि बचपन से ही बनी रही।
भजन यात्रा की शुरुआत (2005)
तुलछाराम भनगावा की भजन यात्रा 2005 में शुरू हुई, जब वे ट्वेल्थ क्लास में थे। एक दिन उनके चाचा जी और वे खुद खेत में ट्रैक्टर से काम कर रहे थे। बातचीत के दौरान उनके चाचा जी ने बताया कि वे एक सत्संग में गए थे, जहाँ एक छोटा सा लड़का बहुत सुंदर भजन गा रहा था। यह सुनकर तुलछाराम जी को भी भजन सीखने की प्रेरणा मिली।
उन्होंने तुरंत अपने बड़े पापा के बेटे से संपर्क किया, जो एक प्राइवेट स्कूल में बाबू थे। उनसे एक हारमोनियम मंगवाया और भजन सीखना शुरू कर दिया।
लगभग चार साल की कड़ी मेहनत के बाद, उन्होंने हारमोनियम बजाना पूरी तरह से सीख लिया और गाँवों में छोटे-छोटे कार्यक्रमों में भजन गाने लगे।
तेजाजी महाराज के प्रति श्रद्धा
तेजाजी महाराज के प्रति तुलछाराम भनगावा की श्रद्धा इतनी गहरी है कि उन्हें तेजाजी की 11 पीढ़ियाँ याद हैं। यही कारण है कि जब वे तेजाजी के भजन गाते हैं, तो उनकी गायकी में एक विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा महसूस होती है।
उनका मानना है कि तेजाजी महाराज की कृपा से ही उन्हें यह भजन गायन का अद्भुत आशीर्वाद प्राप्त हुआ है, जिसने उन्हें 2021 में विशेष लोकप्रियता दिलाई।
भजन गायकी की अनोखी शैली
तुलछाराम भनगावा का मानना है कि “भजन में सार न हो तो वह भजन नहीं होता।” यही कारण है कि वे दूसरे कलाकारों से अलग अंदाज में भजन प्रस्तुत करते हैं।
1. वे सिर्फ भजन गाते ही नहीं, बल्कि उन्हें गहराई से समझाते भी हैं, जिससे लोग उसकी भावना और संदेश को समझ सकें।
2. उनके भजन भक्ति और आध्यात्मिकता से भरे होते हैं, जिससे श्रोता भक्ति में डूब जाते हैं।
3. उनकी आवाज़ में एक खास आकर्षण है, जो सीधे दिल को छूती है।
भजन लेखन और रिकॉर्डिंग
तुलछाराम भनगावा की खासियत यह भी है कि वे 90% भजन और गीत खुद ही लिखते हैं और फिर उन्हें रिकॉर्ड भी करते हैं।
यह बात उन्हें बाकी कलाकारों से अलग बनाती है, क्योंकि वे अपने भजनों में स्वयं का अनुभव और भक्ति भाव जोड़ते हैं, जिससे उनकी गायकी में एक अलग ही गहराई आ जाती है।
सबसे प्रसिद्ध भजन और गीत
तुलछाराम भनगावा के कई भजन और गीत बहुत लोकप्रिय हुए हैं, जिनमें से कुछ सबसे प्रसिद्ध हैं:
1. “उल्टे सीधे भजना के तुळी लगायूंगा”
2. “दही पर दाग लगायो”
3. “तेजाजी की जीवनी”
4. “बना अदर-अदर पग मेलो बालक बनड़ी चोटी”
इन भजनों की लोकप्रियता का कारण उनका अनोखा अंदाज और भक्ति की सच्ची भावना है, जो लोगों को आध्यात्मिक रूप से जोड़ती है।
युवाओं के लिए प्रेरणा
तुलछाराम भनगावा सिर्फ भजन गायक ही नहीं, बल्कि युवाओं के लिए एक मार्गदर्शक भी हैं। वे अपने भजनों और सत्संग के माध्यम से युवाओं को नशे से दूर रहने और माता-पिता की सेवा करने की प्रेरणा देते हैं।
उनका मानना है कि
1. “नशा जीवन को बर्बाद करता है, और भक्ति जीवन को सुधारती है।”
2. “जो माता-पिता की सेवा करता है, उसे भगवान का आशीर्वाद मिलता है।”
3. “धर्म और संस्कार ही हमारी सबसे बड़ी पूँजी हैं।”
700 से अधिक भजन याद
जब वे एमए और बीएड की पढ़ाई कर रहे थे, तब तक उन्होंने 700 से अधिक भजन याद कर लिए थे। यह अपने आप में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, जो उनकी भजन साधना और समर्पण को दर्शाती है।
भविष्य की योजनाएँ और समाज सेवा
तुलछाराम भनगावा का सपना है कि वे भजन संगीत को और आगे ले जाएँ और इसे युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाएँ। इसके अलावा, वे नशामुक्ति अभियान, गौ सेवा और आध्यात्मिक जागरूकता के लिए भी काम कर रहे हैं।
तुलछाराम भनगावा भक्ति और प्रेरणा का संगम
तुलछाराम भनगावा की भक्ति संगीत की यात्रा प्रेरणादायक और अनुकरणीय है।
1. उन्होंने संघर्ष और मेहनत से भजन संगीत में अपनी अलग पहचान बनाई।
2. उनकी तेजाजी महाराज के प्रति श्रद्धा और भजन गायकी में समर्पण उन्हें एक विशेष स्थान दिलाता है।
3. वे युवाओं को सही मार्ग दिखाने का कार्य भी कर रहे हैं, जिससे समाज को एक नई दिशा मिल रही है।
उनके भजन न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि समाज में भक्ति संगीत को बढ़ावा देने का कार्य भी करते हैं।
उनकी यह यात्रा हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो भक्ति संगीत में कुछ बड़ा करना चाहता है।
तुलछाराम भनगावा का नाम आज राजस्थान के भजन संगीत में एक प्रतिष्ठित स्थान रखता है। उनकी मेहनत, भक्ति और समाज सेवा की भावना उन्हें अन्य भजन गायकों से अलग बनाती है। भविष्य में वे और भी नए भजनों और आध्यात्मिक संदेशों के माध्यम से समाज की सेवा करते रहेंगे।