
भारत की राजनीति और समाज सेवा जगत ने अगस्त 2025 में एक सच्चे जननायक को खो दिया। कर्नल सोना राम चौधरी, जो एक ओर भारतीय सेना के अनुशासन और देशभक्ति की मिसाल रहे और दूसरी ओर राजनीति में किसानों और आम जनता की आवाज बने, अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका निधन न केवल राजस्थान बल्कि पूरे देश के लिए एक गहरा धक्का था।
निधन का समाचार
20 अगस्त 2025 को राजधानी दिल्ली के अपोलो अस्पताल से एक दुखद खबर आई -कर्नल सोना राम चौधरी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।
वे 80 वर्ष के थे और कुछ समय से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझ रहे थे।
उनके निधन की खबर मिलते ही बाड़मेर, जैसलमेर और पूरे राजस्थान में शोक की लहर दौड़ गई।
शोक की लहर
उनके निधन की खबर सुनते ही न केवल आम जनता बल्कि राजनीति के दिग्गज नेता भी स्तब्ध रह गए।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें याद करते हुए कहा कि “कर्नल सोना राम जी ने जीवनभर देश और समाज की सेवा की। उनका जाना अपूरणीय क्षति है।”
- पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर उन्हें किसानों और सैनिकों की आवाज बताया।
- राजस्थान भाजपा और कांग्रेस – दोनों ही दलों के कार्यकर्ता गहरे दुख में डूबे नजर आए।
यह दुर्लभ था कि दो बड़े राजनीतिक दल किसी एक नेता के निधन पर एक जैसी भावनाएं व्यक्त करें। इससे उनके व्यक्तित्व और लोकप्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
अंतिम यात्रा-जनसैलाब का दृश्य
उनकी अंतिम यात्रा उनके पैतृक गांव मोहनगढ़ (जिला जैसलमेर) से निकली।
गांव की गलियों से होते हुए जब उनका पार्थिव शरीर ले जाया गया तो हर घर से लोग बाहर निकले।
- बुजुर्ग आशीर्वाद भरे आंसुओं के साथ उन्हें विदा कर रहे थे।
- महिलाएं दरवाजों पर खड़ी होकर उनकी अंतिम झलक पाने की कोशिश कर रही थीं।
- युवा और किसान कंधों पर तिरंगा लिपटे पार्थिव शरीर को उठाने के लिए उमड़ पड़े।
गांव से लेकर जिले तक यह दृश्य एक जनसैलाब जैसा था।
सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
सेना में उनके 25 वर्षों के योगदान को देखते हुए उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
- सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
- तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर पूरे सम्मान के साथ श्मशान तक पहुंचाया गया।
- भारत माता की जय और कर्नल सोना राम अमर रहें के नारों से पूरा वातावरण गूंज उठा।
यह क्षण गांव और परिवार के लिए जितना भावुक था, उतना ही गर्व का भी।
जनता की श्रद्धांजलि
हजारों की संख्या में लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए।
- बाड़मेर और जैसलमेर से ट्रैक्टर-ट्रॉली, बसों और गाड़ियों में लोग पहुंचे।
- दूरदराज़ गांवों से भी किसान श्रद्धांजलि देने आए।
- लोगों ने फूलों की वर्षा कर उन्हें विदाई दी।
यह विदाई साधारण नहीं थी, बल्कि यह एक जनश्रद्धांजलि थी जिसने साबित कर दिया कि सोना राम चौधरी सच में जनता के नेता थे।
उनकी विरासत और यादें
कर्नल सोना राम का जाना एक युग का अंत था, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी।
- सेना में उनकी सेवा आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है।
- किसानों की लड़ाई लड़ने वाली उनकी आवाज हमेशा याद की जाएगी।
- राजनीति में उनकी ईमानदारी युवाओं के लिए एक आदर्श बनी रहेगी।
लोग कहते हैं कि नेता आते-जाते रहते हैं, लेकिन कर्नल सोना राम जैसे व्यक्तित्व सदियों तक याद किए जाते हैं।
कर्नल सोना राम चौधरी की अंतिम यात्रा ने यह संदेश दिया कि सच्चा नेता वही है जो जनता के दिलों में जीवित रहता है।
उनकी विदाई भले ही दुखद थी, लेकिन उनके जीवन की कहानी प्रेरणा का स्रोत है।
आज भी बाड़मेर-जैसलमेर की धड़कनों में उनका नाम गूंजता है और आने वाले समय में भी वे अनुशासन, सेवा और ईमानदारी की मिसाल बने रहेंगे।