
गजेंद्र राव राजस्थान के प्रसिद्ध भजन गायक हैं, जिन्होंने अपनी अनूठी शैली और भक्ति संगीत के प्रति समर्पण से लाखों लोगों के दिलों में जगह बनाई है। वे अपनी मधुर आवाज़ और भजनों की गहरी आध्यात्मिकता के लिए जाने जाते हैं। उनकी गायकी में राजस्थानी संस्कृति, भक्ति रस और संगीत की अनूठी समृद्धि देखने को मिलती है।
परिवार और जीवन की शुरुआत
गजेंद्र राव का जन्म राजस्थान के जोधपुर जिले में हुआ था। वे प्रसिद्ध भजन गायक स्वर्गीय रामनिवास राव के पुत्र हैं। उनके पिता भजन संगीत की दुनिया में एक प्रतिष्ठित नाम थे और उन्होंने अपनी मधुर गायकी से भक्ति संगीत को एक नई ऊंचाई दी थी। बचपन से ही गजेंद्र राव का झुकाव संगीत की ओर रहा। उन्होंने अपने पिता से संगीत की बारीकियाँ सीखीं और भजन गायकी में अपनी अलग पहचान बनाने का संकल्प लिया। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और घर में धार्मिक माहौल ने उन्हें भक्ति संगीत की ओर प्रेरित किया।
संगीत यात्रा की शुरुआत और पिता के प्रति श्रद्धा
गजेंद्र राव की संगीत यात्रा बेहद प्रेरणादायक रही है। जब उनके पिता रामनिवास राव का स्वर्गवास हुआ, तो उन्होंने एक संकल्प लिया कि वे 12 वर्षों तक किसी भी स्टूडियो में भजन रिकॉर्ड नहीं करेंगे। यह संकल्प उन्होंने पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ निभाया। 12 साल तक उन्होंने सिर्फ लाइव भजन संध्याओं और सत्संगों में ही गाया, लेकिन कोई भी नया भजन रिकॉर्ड नहीं किया। यह उनकी अपने पिता के प्रति गहरी श्रद्धा और भक्ति संगीत के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। अब उनके 12 वर्ष पूरे हो चुके हैं, और वे एक बार फिर से रिकॉर्डिंग की दुनिया में लौटने के लिए तैयार हैं। उनके इस फैसले से भजन प्रेमियों के बीच उत्साह का माहौल है, क्योंकि वे अपनी मधुर आवाज़ में नए भजनों को फिर से प्रस्तुत करेंगे।
पिता की बरसी: संगीत जगत की भक्ति संध्या
गजेंद्र राव हर वर्ष अपने पिता रामनिवास राव की पुण्यतिथि पर एक विशाल भजन संध्या का आयोजन करते हैं। इस कार्यक्रम में राजस्थान के प्रसिद्ध कलाकार शामिल होते हैं और अपनी प्रस्तुति देकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। यह आयोजन न केवल उनके पिता की स्मृति को संजोने का माध्यम है, बल्कि भक्ति संगीत को एक नई दिशा देने का प्रयास भी है। इस संध्या में हजारों लोग शामिल होते हैं और भक्ति रस में डूब जाते हैं।
प्रसिद्ध भजन और लोकप्रियता
गजेंद्र राव के कई भजन श्रोताओं के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। उनके कुछ प्रमुख भजन हैं:
1. “बाला चुनरी” – यह भजन उनके पिता रामनिवास राव द्वारा रचित था, जिसे गजेंद्र राव ने अपनी आवाज़ में नया जीवन दिया।
2. “शिव शंकर भोलेनाथ का पौराणिक भजन” – यह भजन भगवान शिव की महिमा को दर्शाता है और श्रोताओं को भक्ति में डूबा देता है।
3. अन्य प्रसिद्ध भजन – उनके कई अन्य भजन भी सोशल मीडिया और यूट्यूब पर लाखों लोगों द्वारा सुने और सराहे गए हैं।
गजेंद्र राव की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण उनकी भावपूर्ण प्रस्तुति, सुर और भक्ति का अद्भुत संगम है।
भविष्य की योजनाएँ और विरासत
गजेंद्र राव अपने पिता की भजन गायकी की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं और अपने अनूठे अंदाज से इसे नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं। वे न केवल पारंपरिक भजन गाते हैं, बल्कि नए-नए भजनों की रचना भी कर रहे हैं, जिससे भजन संगीत को आधुनिक समय के अनुरूप बनाया जा सके। उनकी योजना भविष्य में भक्ति संगीत को और अधिक लोकप्रिय बनाना और नई पीढ़ी को इससे जोड़ना है।
गजेंद्र राव राजस्थान के भजन संगीत में एक प्रतिष्ठित नाम बन चुके हैं। वे अपने पिता स्वर्गीय रामनिवास राव की संगीत परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं और भक्ति संगीत को एक नई पहचान दे रहे हैं। उनकी गायकी में संस्कृति, भक्ति और संगीत की गहराई का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। वे न केवल एक कुशल गायक हैं, बल्कि एक आध्यात्मिक प्रेरणा स्रोत भी हैं, जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं। उनका संगीत और भक्ति प्रेमियों के लिए हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा।